शिष्य: सर्वसार उपनिषद क्या है ? गुरु : वेदों का सार है, उपनिषद और, उपनिषदों का भी सार है- सर्वसार उपनिषद, अर्थात आसार से सार, और सार का भी सार है, यानी जिसमे से रत्ती भर भी नहीं छोड़ा जा सकता. इस रहस्यों की कुंजी कहना उचित है. पहले तो व्यर्थ से सार्थक खोजना बहुत कठिन है, और सार्थक में से भी और सार्थक खोजना लगभग असंभव है. मानव जाती का जो भी उपनिषद रचने तक जाना गया, खोजा गया ज्ञान है, वह इस सर्वसार उपनिषद में संकलित कर दिया गया है. परंतु सार का भी सार करने में भी एक