शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 2

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।।। दिल की बात ।।।     (5)     ..................   जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ  दिल की बात । कोई भी मरहम न दे सका सभी से मिले मुझे आघात ।। जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात ।।   हंसी है पलभर की मेहमान छलों का छाया घना वितान । गम के गीत सुनाता नित्य दर्द के हैं लाखों एहसान ।। हुआ है कोईबार यैसा भी, संग संग जागा सारी रात । जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात ।।   समझ न पाओ परिभाषा न