मेरा कसूर क्या था।

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"एक बेगुनाह लड़की के जज्बात की कहानी ,जो बिना किसी खता किये सज़ा पा गई ,वो भी उम्र भर की .मै आपको उसी की जुबानी सुनाता हु .कि मोहब्बत उसको जिन्दगी भर का दर्द केसे दे गई . मेरा नाम अफसाना है ,बात उन दिनों की है जब मै 17साल की थी.मेरे घर में अम्मी अब्बू के आलावा 2छोटी बहने थी.जो उन दिनों गोद में थी.अब्बू का नाम अहसान है .अब्बू के एक दोस्त थे ,जिनका नाम रफीक अंकल था.उनका हमारे घर आना जाना होता रहता था.कभी हम उनके घर आते जाते रहते.उनका एक लड़का था जिसका नाम समीर था.समीर