मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 1

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क्रमांक :1एक थे रामलाल काका******************पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे। साहूकार के हाथों खेत खलिहान गिरवी रखकर पुश्तों से बेरंग पड़ी हवेली के मरम्मत व रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा था। इस रंग रोगन व मरम्मत के चक्कर में कई बार घर की रसोई ठंडी रह जाती लेकिन घर के भूखे सदस्य घर के बदलते रूप को देखकर अभिभूत थे व रामलाल काका की शान में कसीदे पढ़ना नहीं