कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(३८)

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अन्ततः सभी की सहमति पर उन सभी ने उस नगर को त्यागकर वैतालिक राज्य की ओर प्रस्थान किया,वें मार्ग पर ही थे ,अभी वैतालिक राज्य नहीं पहुँचे थे,इसलिए रात्रि को वें सभी किसी वृक्ष के तले विश्राम करते और अगले दिन पुनः अपनी यात्रा प्रारम्भ करते,उस रात्रि भी सभी ने ऐसा ही किया,सभी ने एक वृक्ष के तले अग्नि प्रज्वलित करके भोजन पकाया एवं भोजन ग्रहण करके विश्राम करने लगे,अर्द्धरात्रि होने को थी,एकाएक कर्बला बनी कालवाची अपने भोजन हेतु जागी,कालवाची जागी तो एकाएक भैरवी भी जाग उठी किन्तु मारे आलस्य के वो अपने बिछौने पर ही लेटी रही ,बिछौने से