प्रजा में एक भी ऐसा स्त्री पुरुष वृद्ध बच्चा नहीं था, जो की दयालु दानवीर अहिंसा प्रेमी राजा छत्रपाल के सुशासन से खुश ना हो। इसलिए जब उनकी रानी की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो जाती है, और अपनी रानी से जुदाई के बाद उन्हें भी हृदय रोग हो जाता है, तो उनके राज्य की पूरी प्रजा उनकी सेहत के लिए रात दिन ईश्वर से प्रार्थना करती है। राज वैद्य जब उनके हृदय रोग से हार मानकर राज दरबार में कहता है कि "अब महाराज का हृदय रोग से बचना असंभव है।" तो उसी रात राजा छत्रपाल की 17