सनकादि कुमार

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‘अनेक जन्मो के किये हुए पुण्यो से जब जीव के सौभाग्य का उदय होता है और वह सत्पुरुषो का सङ्ग प्राप्त करता है, तब अज्ञान के मुख्य कारणरूप मोह एव मद के अन्धकार को नाश करके उसके चित्त मे विवेक के प्रकाश का उदय होता है।’ –( श्रीमद्भा० माहात्म्य०। ७६ )सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी ने जैसे ही रचना का प्रारंभ करना चाहा उनके संकल्प करते ही उनसे चार कुमार उत्पन्न हुए सनक, सनंदन, सनातन एवं सनत्कुमार ब्रह्मा जी ने सहस्त्र दिव्य वर्षों तक तप करके हृदय में भगवान शेषशायी का दर्शन पाया था। भगवान ने ब्रह्मा जी को