दारुण के जंगल, बहुत ही घने, गहरे, देवधर के वृक्ष से सजे रहते है। साल के किसी भी मौसम का उनपर कोई असर नहीं होता है। बारिश में भीग कर भी सधे रहते, कोहरे, बर्फबारी के थपेड़े भी सहते रहते परंतु आह भी न करते। हिरण, बारासिंगा, नीलगाय, पहाड़ीतहर, सियार, खरगोश न जाने कितने पशुओं के यह संरक्षक है। भांति-भांति की वनस्पति, जड़ी-बूटी, फल-फूल, पत्ते-बूटे से सुसज्जित दारुण के जंगल मानो प्रकृति के फेपड़े है। मानव हो या पशु-पक्षी सब इनके कृतज्ञ है। जंगल के अधोभाग में कुछ आदिवासी जन-जातियां रहती है और जंगल से सट