रामानुज शत्रुघ्न जी

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संसार में भगवान् के कई प्रकार के भक्त होते हैं। सबके आचार तथा सबके व्यवहार भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। शत्रुघ्न कुमार उन सब भक्तों में विलक्षण हैं। वे मूक कर्मयोगी हैं। उन्हें न कुछ कहना रहता, न पूछना रहता। भगवान् के भक्त का अनुगमन करना, भक्त की सेवा करना, भक्त के ही पीछे लगे रहना– यह सबसे सुगम साधन है। भगवान् क्या करते हैं, कब कृपा करेंगे, कैसे कृपा करेंगे, इन बातों को सोचना छोड़कर किसी सच्चे प्रेमी संत की शरण ले लेना और निश्चिन्त होकर उसकी सेवा करना, उसी पर अपने को छोड़ देना अनेक महाभाग पुरुषों में