शांति नगर के शांत गांव में, स्वामी देवानंद के शिक्षण और विचार आगे बढ़ते रहे, उनके शिष्यों को गहन ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के पथ पर ले जाते हुए। जबकि उन्होंने करुणा, आंतरिक शांति और सरलता का विकास किया, वहां एक नए आयाम की समझ उभरने लगी - सभी जीवन के जड़ोंतरी संबंध और प्राकृतिक जगत की पवित्रता। एक धूप-छाया युक्त सुबह, स्वामी देवानंद और उनके शिष्य अपने गांव को घेरने वाले हरे-भरे जंगल में गहराई में गए। हवा में चहचहाने वाले पक्षियों के मधुर संगीत से जीवन भर उठता था, और जंगली फूलों की सुगंध उनकी नाक में भर