अध्याय १: भयानक छायाएं रात ने निता को भयावह अंधकार में लपेट लिया जब वह उजले रहे हवेली में उत्साह से आगे बढ़ी। उसके पैरों की दड़दड़ाहट उसके वजन को अंकुश करने की भांति आवाज़ कर रही थी, जैसे कि वह इस परित्यक्त स्थान में अपनी धार्मिकता के खिलाफ विरोध कर रही हो। निता: (खुद से बोलते हुए) इस जगह में कुछ गड़बड़ है। मैं महसूस कर सकती हूँ कि अँधेरे में दृष्टि मेरे हर कदम को चुभ रही है। एक ठंडी हवा गलियारे से आई और उसके साथ एक दुष्ट फुसफुसाहट लाई। आवाज़: (फिसफिसाते हुए, मुश्किल से सुनाई देते