एक योगी की आत्मकथा - 7

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{ प्लवनशील सन्त }“कल रात एक सभा में मैंने एक योगी को जमीन से कई फुट ऊपर हवा में ठहरे हुए देखा।” मेरा मित्र उपेन्द्र मोहन चौधरी बड़े ही प्रभावशाली ढंग से बोल रहा था।मैंने उत्साहपूर्ण मुस्कान के साथ कहाः “शायद मैं उनका नाम बता सकता हूँ। कहीं वे अप्पर सर्क्युलर रोड के भादुड़ी महाशय तो नहीं थे?”उपेन्द्र ने स्वीकृति में सिर हिलाया। यह बात मुझे पहले ही ज्ञात है। यह देखकर उसका चेहरा थोड़ा उतर गया। सन्तों के बारे में मेरी जिज्ञासा से मेरे सभी मित्र भली-भाँति परिचित थे; कोई नयी जानकारी मिलते ही मुझे उनके पीछे लगा देने