उजाले की ओर –संस्मरण

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============ मित्रों! स्नेहिल नमस्कार कुछ ही दिनों की बात तो है कुछ मित्रों के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर क्या ज़ोर शोर से बहस छिड़ी हुई देखकर मन दिग्भ्रमित हो उठा। अक्सर हम सभी मित्र बहस में पड़ जाते हैं, यदि कहा जाए कि हर मनुष्य स्वयं को 'द बैस्ट' साबित करने में लगा रहता है तो ग़लत नहीं है | विषय चाहे कोई भी क्यों न हो ,हम चाहे अपनी विद्वता के झंडे गाडें, या अमीरी शान के अथवा किसी और बात के, मन के कोने में यही कसमसाहट रहती है कि कोई हमें छोटा, गया-गुज़रा या 'ऐंवे' ही