कौत्रेय का ऐसा कथन सुनकर कालवाची बोली.... "ये क्या कह रहे हो कौत्रेय"? "ठीक ही तो कह रहा हूँ तुम ही क्यों नहीं अचलराज के लिए भैरवी बन जाती",कौत्रेय बोला... "ये तो अचलराज के संग विश्वासघात होगा",कालवाची बोली... "कैसा विश्वासघात कालवाची? जो महाराज कुशाग्रसेन ने तुम्हारे संग किया था क्या वो विश्वासघात नहीं था, तुम उन्हें प्रेम करती थी और उन्होंने तुम्हारे संग क्या किया था वो तो स्मरण होगा ना तुम्हें कि भूल गई", कौत्रेय बोला.... "कुछ नहीं भूली कौत्रेय...! कुछ नहीं भूली किन्तु जो भूल महाराज कुशाग्रसेन ने की ,वही भूल मैं अचलराज के संग नहीं करना चाहती",कालवाची