एक योगी की आत्मकथा - 6

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{ बाघ स्वामी }“मैंने बाघ स्वामी का पता खोज निकाला है। चलो, कल उनका दर्शन किया जाय।”यह स्वागतार्थ प्रस्ताव हाईस्कूल के मेरे एक मित्र चण्डी से मिला। अपने संन्यासपूर्व जीवन में केवल अपने नंगे हाथों से बाघों के साथ लड़ने और उन्हें पकड़ने वाले इस सन्त का दर्शन करने के लिये मैं भी उत्सुक था। ऐसे असाधारण साहसिक कार्यों के प्रति बाल सुलभ उत्साह मुझ में भरपूर था।दूसरे दिन प्रातःकाल बहुत ठण्ड पड़ रही थी, पर मैं चण्डी के साथ अत्यन्त उत्साह और स्फूर्ति के साथ चल पड़ा। कोलकाता के बाहर भवानीपुर में बहुत देर तक व्यर्थ खोज करने के