आई-सी-यू - भाग 7 - अंतिम भाग

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अंतिम घड़ी में शायद नीलिमा सोच रही थीं कि काश सौरभ की उनके साथ घूमने जाने की इच्छा उन्होंने पूरी कर दी होती। अपने साथ उन्हें भी थोड़ी दुनिया देख लेने दी होती। सौरभ भी खुद के लिए कहाँ जिए वह भी तो हमेशा सब के लिए करते ही रहे और करते-करते ही एक दिन बिना जिए ही मर गए। गलती तो उनकी ही है जो उन्होंने सौरभ की बात नहीं मानी वरना दोनों ने नदियों और पर्वतों की हरी-भरी वादियों की मस्त हवा का सुख उठा लिया होता। नीलिमा के प्राण निकलने को तैयार ही नहीं थे। आँखें बंद