नीलम कुलश्रेष्ठ माँडू या माँडवगढ़ में रानी रूपमती के मंडप की आसमान को छूती इमारत की खुली लंबी छत के दोनों किनारे दो मंडप । कहते हैं रानी रूपमती नर्मदा नदी के तट पर बसे गाँव धर्मपुर की बेटी थी। वह सुबह उठकर नर्मदा के दर्शन करती थीं। फिर अन्न-जल ग्रहण करती थीं। रूपमती को संगीत बहुत प्रिय था। उनके मधुर कंठ का जादू मांडू के पठान वंश के आखिरी शासक बादशाह बाजबहादुर के सिर चढ़कर कुछ इस तरह बोला कि वह उनके प्रेमपाश में जकड़कर उन्हें ससम्मान मांडू ले आये थे। रूपमती के पति उनके संगीतप्रेम के कारण ही