नि:शब्द के शब्द - 18

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नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक अठारहवां भाग*** दुष्ट-आत्माओं का लश्कर मोहिनी का जीवन, इकरा के बदन का साथ लेकर, बरसात में भीगी हुई लकड़ियों के समान सुलगते हुए हर वक्त धुंआ देने लगा. इस तरह कि, वह ढंग से ना तो जी सकी और ना ही दुखी होकर मर ही सकी. अपनी अकेली, तन्हा और परेशान ज़िन्दगी के साथ वह अपनी नौकरी तो कर ही रही थी, रोनित, जो उसका एक प्रकार से बॉस और मालिक भी था, वह भी उसका ख्याल हर तरह से रखता ही था, मगर फिर भी, जब कभी वह अपने जीवन के अतीत के बारे