बंजारन - 8

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रितिक कोठी की ओर तो बड़ गया था लेकिन उसे ये नही पता था कि जंगल में आए उसे काफी देर हो गई थी और अब रात के ग्यारह(11) बज चुके थे। उधर कब्र का काम भी खतम हो चुका था और मोहन, दोनो आदमी और ठाकुर साहब के साथ कब्र के पास ही खड़ा था। तीनो के चहरों पर एक शांति छाई हुई थी। तीनो शांत खड़े बस कब्र को ही देखे जा रहे थे। मोहन कभी तो ठाकुर साहब को देखता तो कभी कब्र को। मोहन को तो समझ ही नही आ रहा था कि उसके मालिक इतने