भक्त के कार्य

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*भक्त के कार्य* वृन्दावन में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह बाँकेबिहारी से असीम प्यार करता था। वह बाँकेबिहारी का इतना दीवाना था कि सुबह शाम जब तक वह मन्दिर ना जाए उसे किसी भी काम में मन नहीं लगता था। मन्दिर में जब भी भंडारा होता वह प्रमुख रूप से भाग लेता। एक दिन ब्राह्मण की बेटी की शादी तय हो गई और जिस दिन ब्राह्मण की बेटी की शादी तय हुई उसी दिन ब्राह्मण की बाँकेबिहारी के मन्दिर में भी ड्यूटी लग गई। ब्राह्मण परेशान हो गया कि, वह करे तो क्या करे। बेटी की शादी भी जरूरी