प्रभु की लीलाएक बार एक बहुत बड़े संत अपने एक शिष्य के साथ दिल्ली से वृंदावन को वापिस जा रहे थे , रास्ते में उनकी कार ख़राब हो गई । वही पास में एक ढाबा था , शिष्य ने संत को वहाँ चल कर थोड़ा आराम करने का आग्रह किया , जबतक कार ठीक न हो जाए या कोई दूसरा इंतज़ाम न हो जाए । ढाबे के मालिक ने जब देखा की इतने बड़े संत उसके ढाबे पर आए हैं , उसने जल्दी - जल्दी शुद्ध सात्विक भोजन तैयार करवाया और संत से आग्रह किया की कृपा कर आप भोजन