"मुरली" किसी गांव में एक पुजारी अपने बेटे के साथ रहता था। पुजारी हर रोज ठाकुर जी और किशोरी जी की सेवा मन्दिर में बड़ी श्रद्धा भाव से किया करता था। उसका बेटा भी धोती कुर्ता डालकर सिर पर छोटी सी चोटी करके पुजारी जी के पास उनको सेवा करते देखता था। एक दिन वह बोला बाबा आप अकेले ही सेवा करते हो मुझे भी सेवा करनी है परन्तु पुजारी जी बोले बेटा अभी तुम बहुत छोटे हो। परन्तु वह जिद पकड़ कर बैठ गया। पुजारी जी आखिर उसकी हठ के आगे झुक कर बोले अच्छा बेटा तुम ठाकुर जी