आई-सी-यू - भाग 3

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नीलिमा और सौरभ अब दो ही लोग घर में बचे थे। जब तक सास-ससुर ज़िंदा थे हालातों से जूझती नीलिमा ने सच्चे मन से उनकी ख़ूब सेवा की लेकिन ढलती उम्र के कारण वे दोनों भी उनका साथ छोड़ कर चले गए। अपनी व्यस्ततम ज़िन्दगी से समय निकालकर बच्चे कभी-कभी मां-बाप को याद कर लिया करते थे, जिसे केवल औपचारिकता ही कहा जा सकता है। विवाह के कुछ वर्ष बाद पराग की पत्नी प्रेगनेंट हो गई। तब एक दिन पराग का फ़ोन आया, “हैलो मम्मा” “हैलो पराग, कैसे हो बेटा?” “माँ सब ठीक है, आपकी बहू प्रेगनेंट है। आप लोगों