कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(३४)

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अब कुबेर बने कौत्रेय ने इस बात का लाभ उठाया और एक दिवस एकान्त में जाकर कर्बला बनी कालवाची से बोला.... "कालवाची!तुमने देखा था ना कि तुम्हारे खो जाने पर अचलराज किस प्रकार व्याकुल हो उठा था", "तो इसका आशय मैं क्या समझूँ"?,कालवाची ने पूछा... "इसका आशय ये है बावरी कि वो तुमसे प्रेम करता है",कौत्रेय बोला... "किन्तु!ये कोई पूर्णतः विश्वास करने योग्य बात तो ना हुई",कालवाची बोली.... "अब तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं होता तो मैं क्या करूँ"?,कौत्रेय बोला.... "कौत्रेय! तुम तो रुठ गए",कालवाची बोली... "रूठूँ ना तो क्या करूँ?,तुम बात ही ऐसी कह रही हो,मैनें अचलराज की