दो राही...

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कड़के की ठण्ड और रात का समय ,रात के लगभग ग्यारह बज रहे थे,ठण्ड के कारण इलाके में धुन्ध सी छाई हुई थी और रेलवें प्लेटफार्म पर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था,प्लेटफार्म पर लगे खम्भों पर पीली रोशनी वाले बल्ब जगमगा रहे थें, मिस्टर सिंह कोट के ऊपर ओवरकोट पहने ,गले में ऊनी मफलर डाले और सिर पर हैट लगाए अपने ड्राइवर के साथ प्लेटफार्म की ओर बढ़े चले जा रहे थें,सन्नाटे के कारण केवल उन दोनों के कदमों की आहट सुनाई दे रही थी,रेलगाड़ी पहले से आकर प्लेटफार्म पर खड़ी थी और अब उसके चलने का समय हो चुका