प्रेम 'प्रेम' 78 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होकर दसवीं कक्षा में पहुँच गया था। जीवन में एक सफ़ल और नामचीन अभियन्ता बनने के सपने देखने वाला वो सोलह वर्षीय प्रेम मुखाकृति से कुछ विशिष्ट आकर्षक तो नहीं था किन्तु उसका व्यक्तित्व बड़ा प्रभावशाली और आकर्षक था। हल्का साँवला, अच्छी कद काठी का स्वामी 'प्रेम' स्वभाव से बहुत ही विनोदी था। मस्ती-मज़ाक तो जैसे उसका हर समय शुरू ही रहता था। शायद ही उसके विद्यालय में कोई उसका दुश्मन रहा हो। कक्षाचार्य या प्रधानाचार्य से यदि विद्यार्थी समूह को कोई अनुरोध करना होता था तो वो प्रेम के माध्यम से ही