राधेश्याम और रजनी

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वाजिद हुसैन की कहानी- प्रेमकथा दिन भर की स्कूल की बकझक से दिमाग़ वैसी ख़ाली हो रहा था। शरीर भी थका था। बुझे मन से क्वार्टर की सीढ़ियां चढ़ी। चमोली के इस स्कूल में मेरी पहली पोस्टिंग थी। अचानक गाज़ियाबाद से कपिल के फोन ने चौका दिया। वह मेरे साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ा था। ... अरे सुन, 'कल शाम तुझ से मिलने राधे आ रहा है।' ...'राधे!' ...'अरे वही, राधेश्याम। वह डी. एम. चमोली हो गया है।' ... 'मेरा पता क्यूं बताया?' बड़बड़ाते हुए मैंने कहा।... 'कैसे नहीं बताता? उसके चेहरे के हाव-भाव से लग रहा था, तेरा पुराना आशिक़