गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 6

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लेकिन हमारे समय मे न टेलीफोन थे,न ही मोबाइल और सामाजिक प्रतिबंध भी तब ज्यादा थे।कई बार मन मे आता कि रिश्ता हो गया है तो अब एक बार मंगेतर को देखा जाए पर कैसे?ऐसे अवसर आये भीएक बार मे गांव गया।आगरा से बांदीकुई ट्रेन करीब एक बजे पहुच जाती थी।फिर वहा से बसवा के लिए ट्रेन साढ़े तीन बजे चलती थी।जैसा मैं पहले कह चुका हूँ।मेरी कजन का क्वाटर वही था।मैं उतरकर वहां चला जाता था।मैं जब सिस्टर के पास पहुंचा वह बोली,"आज तो तुम्हारी मंगेतर आयी है।"असल मे खान भांकरी तो बहुत छोटा स्टेशन था।वहां तो बस रेलवे