श्री चैतन्य महाप्रभु - 9

  • 3.6k
  • 2.3k

काजी का उद्धारगया से लौटने के पश्चात् श्रीगौरसुन्दर ने सङ्कीर्त्तन-धर्म का प्रचार आरम्भ कर दिया था। सर्वप्रथम श्रीवास पण्डित के घर में कीर्त्तन प्रारम्भ हुआ। तत्पश्चात् सभी भक्तलोग अपने-अपने घरों में कीर्त्तन करने लगे। यह समाचार जब नवद्वीप के मुसलमान शासक चाँद काजी के पास पहुँचा तो वह क्रोधित होकर अपने सैनिकों के साथ एक भक्त के घर पहुँच गया, जहाँ पर कीर्त्तन हो रहा था। वहाँ पहुँचकर उसने मृदङ्ग को जमीन पर पटककर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिये तथा कीर्त्तन में सम्मिलित वैष्णवों को चेतावनी देते हुए बोला— ‘आज तो मैंने मात्र मृदङ्ग ही फोड़ा है। यदि पुनः यहाँ पर