गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 5

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और शाम हो गयी थी।वहां से वापस लौटने के लिए रात में ही ट्रेन थी।हम लोग बाते करते रहे।फिर खाना बना था।पूड़ी सब्जी हलवा।खाना स्वादिष्ट था जिसे लड़की ने ही बनाया था।शाम को मतलब रात को एक मालगाड़ी रुकी उससे हम लोग बांदीकुई वापस आ गए।रास्ते मे भाई मुझसे बोला,"लड़की तो सुंदर है।"मैने कोई जवाब नही दिया था।"खाना भी बहुत बढ़िया बनाया था।""यार मुझे शादी नही करनी।""क्या लड़की सुंदर नही है।""यह मैने कब कहा?""तो कोई कमी है?""नही।""तो फिर कैसे मना करेगा?"मैं कुछ नही बोला।"लड़की सुंदर है और खाना भी बहुत अच्छा बनाती है।मुझे तो पसन्द है।मैं हा कर देता हूँ।""तो