प्रेम गली अति साँकरी - 60

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60--- ======= कितने लंबे समय के बाद एक सुकून सा महसूस हुआ था सबको | जगन की कहानी एक बीता हुआ दुखद स्वप्न था | जिसको जितनी जल्दी दिलोदिमाग से खुरचकर फेंक दिया जाए, उतना ही अच्छा था | वह एक ऐसी भीगी हुई पीड़ा थी जैसे कोई किसी भीगे कपड़े को निचोड़कर कोड़े मारता हो | कितना सहा था इस पूरे परिवार ने केवल एक आदमी के कारण लेकिन होता है, ऐसे ही होता है जीवन में, एक मछली जैसे सारे तालाब को गंदा करती है ऐसा ही कुछ हुआ था शीला दीदी के परिवार में |  मैं भी