" मेरे जीवन साथी ...तुम बिन मैं कुछ नही ... सुधा ... मोहन ने सुधा का हाथ अपने हाथ मे लेके बोला ..." डाक्टर कहते है कि तुम मेरी बात नही सुन सकती पर मुझे पता है कि तुम मेरी बात ... मेरा स्पर्श सब महसूस करती हो ... मोहन बोला ...फिर कुछ पल एक टक सुधा को देखता रहा ..." जल्दी से ठीक हो जाओ सुधा ...तुम्हारी ये ख़ामोशी मुझे चुभती है ...मुझे तो वो चुलबुली चहकती , दिनभर पटर पटर बोलने वाली सुधा चाहिए ...तुम बिन मैं कुछ नहीं ...इस अनाथ को तुमने अपने प्यार से एक परिवार