((जन्मदिन))सासु माँ कब जाएँगी..“ बेटा सुन आज आते वक्त मेरा एक काम कर देगा?” दमयंती जी ने सोमेश से पूछा“ हाँ माँ बोलो ना क्या काम है?” सोमेश ने कहाउधर रसोई में काम करती रचिता मन ही मन बुदबुदा रही थी.. जब से आई है जरा पल भर का सुकून नहीं है… कभी चाय कभी पानी तो कभी दवा बस अपने आगे पीछे लट्टू की तरह घुमाए रखती हैं… कल मेरा जन्मदिन है वो भी इनकी सेवा में बीत जाना.. कितना मन था सुबह मंदिर जाकर पूजा करूँगी फिर शाम को सोमेश के साथ किसी मॉल में शॉपिंग और डिनर