बहन की चिट्ठीबहन का मार्मिक पत्र ससुराल से:-नहीं चाहिए मुझको हिस्सा माँ-बाबा की दौलत में चाहे वो जो जो लिख जाएँ अपनी वसीयत मेंनहीं चाहिए मुझको झुमकाचूड़ी पायल और कंगन नहीं चाहिए अपनेपन कीकीमत पर बेगानापनमुझको नश्वर चीज़ों की दिल से कोई दरकार नहीं संबंधों की कीमत पर कोई सुविधा स्वीकार नहींमाँ के सारे गहने-कपड़ेतुम भाभी को दे देनाबाबूजी का जो कुछ हैसब ख़ुशी ख़ुशी तुम ले लेनाचाहे पूरे वर्ष कोई भीचिट्ठी-पत्री मत लिखनामेरे स्नेह-निमंत्रण का भीचाहे मोल नहीं करनानहीं भेजना तोहफे मुझको चाहे तीज-त्योहारों पर पर थोडा-सा हक दे देनाबाबुल के गलियारों पररूपया पैसा कुछ ना चाहूँये सब नाकाफी