अनूठा प्रेम

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वाजिद हुसैन की कहानी -मार्मिक रश्मि प्रोजेक्ट वर्क पूरा कर रही थी और मधु पूरे कमरे का चक्कर काटती रही। कभी चीज़ें उलटती-पुलटती तो कभी दरवाज़ा खोल कर अंदर झांकती। साफ दिख रहा था कि वह कुछ कहना चाहती है, पर दीदी के आगे हिम्मत नहीं जुटा पा रही। अंत में मधु सीधे दीदी के सामने आकर बोली, 'जानती हो नवीन ने मुझे क्या बताया?' 'होगी कोई ऐसी ही बात, बच्चे ...।, 'रश्मि ने कहा। 'दीदी, मैं अब बच्ची नहीं रही, मेरी शादी होने जा रही है।' 'क्या बोल रही हो? मेरी समझ में कुछ नहीं आया।' तुम्हें याद है,