इतिहास की एक दर्दीली आहः गन्ना बेगम

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नीलम कुलश्रेष्ठ  कहते हैं अठारहवीं सदी में अब्दुल कुली खान की अपूर्व सुंदर बेटी जितनी सुंदर गज़लें लिखती थी उतने ही सुंदर अंदाज में गाती थी। वह इतना सुरीला गाती थी कि लोग उसे गन्ना बेगम कहते थे। ये हुनूर उसे अपनी माँ सुरैया से मिला था। गन्ना बेगम का जीवन भी किसी ख़ूबसूरत गायिका से अलग न था- वही जख़्मों को पीता, आँसुओं को पोंछता, काँटों पर चलता चला जाता जीवन। राजस्थान में मुरैना ज़िले से बारह किलोमीटर दूर ए.वी. रोड पर स्थित ग्राम नूराबाद में बेगम की मजार है बेगम ने अपनी मृत्यु से पूर्व सन 1774 में