परोपकार की भावना

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एक पागल भिखारी :- जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने के लिए छोड़ दे ।क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर।मराठी भाषा से हिन्दी ट्रांसलेशन की गई ये सच्ची कथा है ।लक्ष्मी कांतजीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा। समय निकालकर अवश्य पढ़ें।हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था।स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े