दिव्य आत्मा

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बहुत समय पहले की बात है। खुनिया गाँव के 8-10 लोगों की एक मंडली दर्शन हेतु एक काली मंदिर में गई थी। काली का यह मंदिर एक जंगल में था पर आस-पास में बहुत सारी दुकानें, धर्मशाला आदि भी थे, कच्ची-पक्की सड़कें भी बनी हुई थीं...पर घने-उगे जंगली पेड़-पौधे इसे जंगल होने का भान कराते थे। यह काली मंदिर बहुत ही जगता स्थान माना जाता था। यहाँ हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती थी पर मंदिर के अंदर जाने का समय सुबह 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक ही था। भक्तों की उमड़ती भीड़ को देखते