मन से पवित्र

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मन से पवित्रएक बार देवर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन वन में जा पहुँचे।वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ी घनी छाया वाला सेमल का वृक्ष देखा। उसकी छाया में विश्राम करने का विचार कर नारद उसके नीचे बैठ गए।नारद जी को उसकी शीतल छाया में बड़ा आनन्द मिला।वे उसके वैभव की भूरि - भूरि प्रशंसा करने लगे। उन्होंने सेमल के वृक्ष से पूछा- 'वृक्षराज! तुम्हारा इतना बड़ा वैभव किस प्रकार सुस्थिर रहता है।पवन तुम्हें गिराता क्यों नहीं?'सेमल के वृक्ष ने हॅंसते हुए कहा- देवर्षि! पवन का क्या सामर्थ्य कि वह मेरा बाल भी बांका कर सके। वह किसी