कहानी/शरोवन **नाज़ायज़* 'पापा जी, थोड़ा बहुत तो खा लीजिये। ऐसे कब तक रहेंगे आप। दो दिन तो हो गये हैं, और आपने कुछ भी नहीं खाया है। मेरा दिल कहता है कि, मम्मी जरूर ही वापस आ जयेंगी, मैं रोज़ ही खुदा से दुआ कर रही हूं।” बदली ने खाने की प्लेट और पानी का गिलास अपने पिता सनी के सामने पड़ी छोटी सी मेज पर रख कर कहा तो गंभीर बैठे हुये उसके विचारों की श्रृंखला अपने आप ही बिखर गई। उसने उदास मुद्रा में अपनी युवा पुत्री बदली को एक बार देखा, फिर थोड़ा संभलकर बैठते हुये वह