कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(३०)

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कौत्रेय के कहने पर कालवाची ने अचलराज पर ध्यान देना प्रारम्भ किया तो कर्बला बनी कालवाची ने पाया कि अचलराज अत्यधिक सुन्दर है एवं उसका हृदय भी करूणा से भरा था,उसकी मृदु वाणी एवं सौम्य व्यवहार ने अश्वशाला के सभी जनों को अपनी ओर आकर्षित कर रखा था,कालवाची ने ये भी देखा कि अचलराज वीर एवं साहसी भी है,वें सभी गुण अचलराज में उपस्थित थे जो उसने कभी महाराज कुशाग्रसेन में देखे थे,किन्तु कालवाची किसी से प्रेम करके पुनः वही भूल नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने इस विचार को मन से त्याग दिया, कुछ दिवस यूँ ही बीते कि