भोर हुई तो शास्त्री जी अभ्युदय के कमरें में पहुँचे,उन्होंने कमरें की लाइट जलाई और देखा कि अभ्युदय अभी भी सो रहा था,वें धीरे से उसके सिराहने बैठ गए,पहले तो उन्होंने उसके माथे को चूमा फिर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलें.... "मुझे माँफ कर दे मेरे बच्चे,मुझे कल ऐसा नहीं बोलना चाहिए था" तभी शैलजा भी अभ्युदय के कमरे में आई और शास्त्री जी से बोली... "आपकी दी हुई परवरिश कभी गलत नहीं हो सकती,जो उसने किया था वही ठीक था" "तुम शायद सही कह रही हो",शास्त्री जी बोले... दोनों की आवाज़ सुनकर शक्ति जाग उठा और बोला...