सभी अभ्युदय का इन्तज़ार कर करके थक गए लेकिन अभ्युदय घर ना लौटा,तब लड़की के पिता बोले... "तो शास्त्री जी!अब हम चलते हैं,मुझे नहीं लगता कि अब आपका बेटा लौटेगा,शायद उसका ब्याह करने का इरादा नहीं है" इस पर शास्त्री जी बोलें.... "मुझे माँफ कर दीजिए तिवारी जी! मैं अपने बेटे की हरकत पर बहुत शर्मिन्दा हूँ" तब तिवारी जी बोले... "ऐसा मत कहिए शास्त्री जी! अब आपके बेटे के कारण आपको शर्मिन्दा होने की जरूरत नहीं है,आप या मैं हम दोनों अब किसी से ब्याह के लिए जबर्दस्ती तो कर नहीं सकते,मैं ने सोचा था कि इतना अच्छा घर