ओ...बेदर्दया--भाग(७)

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जब सुबह हुई तो अभ्युदय जागते ही आँगन में टहलने लगा क्योंकि उसके सिर में ज्यादा पी लेने से दर्द हो रहा था,तब शास्त्री जी भी आँगन में आए और उन्होंने अभ्युदय की क्लास लेनी शुरू कर दी,वें उससे बोले.... "बेटा!बहुत नाम रौशन कर रहे हो खानदान,क्या बात है?,हम बुड्ढे-बुढ़िया को समाज में रहने लायक छोड़ोगे या नहीं" शास्त्री जी की बात पर अभ्युदय कुछ ना बोला,बस यूँ ही मौन खड़ा रहा तो शास्त्री जी और ज्यादा बिफर पड़े और फिर बोलें... "कुछ बोलोगे भी साहबजादे!या मुँह में दही जमा रखा है" "मुझसे गलती हो गई बाबूजी!आइन्दा से ऐसा नहीं