जब शास्त्री जी घर लौटे तो शैलजा ने उन्हें सब बता दिया,इस बात से शास्त्री जी बहुत नाराज हुए और शैलजा से बोलें... "मैं अभी नालायक के घर जाता हूँ उसकी ख़बर लेने" तब शैलजा बोली... "सुनिए जी!बात मत बढ़ाइए,आपके उसके बीच कहा सुनी हुई और उसने आपको अशब्द बोल दिए तो मैं सह नहीं पाऊँगी,वैसे भी सारा गाँव जानता है कि उसका कैसे कैसे लोंगो के साथ उठना बैठना,चौबीसों घण्टों गाँजा पीता रहता है,गलती मेरी थी जो आपके घर पर ना होने पर मैनें उसके लिए दरवाजा खोल दिया,मुझे क्या पता था कि वो नीच इस हद तक गुजर