राधाजी की कृपा

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. "राधाजी की कृपा" चन्दन वृंदावन की ब्रज भूमि में रहने वाला अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। दिन भर वो ब्रज की रज में लोटपोट होता रहता अपने सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता। सारा दिन अपने सखाओं के साथ गईया चराने जाता। शाम होने पर यमुना जी में स्नान करके वापस घर आता, घर आकर माँ बाप के चरण छूकर प्रसादी पाता। यही उसकी दिनचर्या थी। चन्दन में धीरे-धीरे ठाकुर जी के प्रति सखी भाव जागृत होने लगा। अब वह ठाकुर जी की सखियों की तरह चलता कभी-कभी सर पर चुनरी ओढता, और कभी आँखों में काजल लगा