रणधीर अपने पिता के देहांत के बाद अपनी विधवा मां के साथ शहर छोड़कर देहरादून रहने चला जाता है।रणधीर नया मकान जिस जगह खरीदता है, उस जगह उसके मकान से बहुत दूर-दूर मकान थे। रणधीर के पड़ोस का मकान काफी सालों से खाली पड़ा हुआ था। अभी तक उस मकान में कोई रहनेे नहीं आया था।रणधीर जब शाम को अपने ऑफिस सेेेेे घर आता था, तो उसेे पड़ोस का खाली मकान देख कर बहुत बुुरा महसूस होता था। रणधीर कभी-कभी रात को मां के साथ खाना खाते वक्त अपनी मां से कहता था कि "मां हमनेेे इस सुनसान जगह मकान