1मासूम बचपनमेरे मन में यदा - कदा यह सवाल उठता कि ," क्या बचपन बिल्कुल ही होशमंद नहीं होता या चालाकी की हद तक होशमंद होता है ?" …मैं अपने माता - पिता की सबसे छोटी संतान था। वैसे अगर बड़ी संतान होने के फायदे हैं तो छोटे होने के भी कुछ कम नफे नहीं हैं।पेशे से हमारे पिता विद्यालय में प्राध्यापक थे। और इस नाते उनका व्यवहार अधिकतर सबसे छात्र एवं शिष्य का ही रहता। जबकि मुझसे वे हमेशा नरमदिली से ही पेश आते रहे। मेरे परीक्षा फल के दिन वे बहुत खुश रहते और उस दिन शाम में