साथ जिंदगी भर का - भाग 41

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आस्था बेफिक्र होकर सो रही थी एकांश की मौजूदगी से उसे बहुत राहत महसूस हो रही थी उसे पता था उसके कुंवर जी उसे कुछ नहीं होने देंगे एकांश ना जाने कितनी देर उसके साइड में लेटे हुए उसे देख रहा था जान ..... हां ...... जान ही है आप हमारी....... तभी तो आपके जाने के ख्याल से ही हमारी जान जा रही हैं पता नहीं कब इतनी मोहब्बत हो गई आपसे जान आई नो कि आप भी प्यार करती हैं हमसे ....... लेकिन शायद आप ठीक से वह समझ नहीं पाती...... या फिर समझती भी हैं इसमें आपकी कोई