कुंवर सा उधर अजय ने एक तरफ इशारा किया जहां आस्था का दुपट्टा पेड़ से लटका हुआ था बिना एक पल गवाह एकांश स्वयं करते तो बाकी सब दौड़कर उधर जाने लगे एकांश पानी से बाहर आया उसकी नजर आस्था को ढूंढ रही थी और आखिर उसे आस्था दिखाई दी किसी की बाहों में वह शख्स आस्था को अपने सीने से लगाए उसके हाथ रख कर रहा था उसके होंठ आस्था के माथे को चूम रहे थे वह भीगा हुआ था इससे साफ जाहिर था कि उसी ने आस्था को पानी से निकाला है एकांश बस खामोशी से उसे देखता